उरई। दागी पुलिस कर्मियों के सफाये के नाम पर एसपी ने 22 सिपाही जिनमें चालक भी शामिल हैं, लाइन हाजिर कर दिये हैं। लेकिन इनमें अवैध खनन कराने वाले एट थाने के चर्चित सिपाही जैसे वे लोग छोड़ दिये गये हैं जो कि तीन बार ट्रांसफर हो जाने के बावजूद अपनी जगह अटल हैं क्योंकि उनके रसूख के आगे सारे साहबों की साहबी बेकार है।
पुलिस अधीक्षक स्वप्निल ममगोई ने एक मुश्त 22 सिपाहियों का तबादला करके नई सरकार की फिजा बनाने की कोशिश जरूर की है लेकिन इसका खोखलापन भी सूची के प्रथम दृष्टया अवलोकन में ही उजागर हो गया। सबसे बड़ी बात तो यह है कि थाने का सुप्रीमों एसओ होता है जो पिछली सरकार में संदिग्ध मानकों के आधार पर बनाये गये थे। इनमें से किसी को एसपी ने टच नही किया। सेफ्टी बाल्व के रूप में सिपाहियों पर गाज गिराकर काम चला लिया गया है। लेकिन ज्यादा बदनाम सिपाही भी एसपी की कार्रवाई की चपेट से सुरक्षित रहे हैं।
एसपी द्वारा जारी सूची के मुताबिक कालपी कोतवाली में चालक साबिर अली और सूरज सिंह, आटा में मनोज कुमार यादव व विनोद पटेल, उरई कोतवाली में चंद्रदेव यादव, इमरान खान व उपेंद्र कुमार, कोटरा में विनोद कुमार व मुस्तकीम, डकोर में अरविंद दुबे, रमेश यादव, राजकुमार यादव, आशीष त्रिपाठी और सुरेश सिंह यादव, जालौन में चालक ध्रुव प्रताप सिंह, कुठौंद में चालक विनोद कुमार, सिरसाकलार में राजभैया और अजीत सिंह, माधौगढ़ में निर्भय सिंह, कोंच में जितेंद्र कुमार, कैलिया में डायल-100 के सिपाही श्रीप्रकाश व नदीगांव में आरक्षी सुरेंद्र कुमार को आॅपरेशन क्लीन के तहत शंट करके पुलिस लाइन बुला लिया गया है।
इसके पहले एसपी ने एक दिन पहले प्रचारित कराया था कि उन्होंने अवैध खनन और अन्य गलत कारगुजारियां करने वाले पुलिसजनों की सूची तैयार कराई है। इनमें 22 लोग चिन्हित हुए है जिन्हें लाइन बुलवाने की तैयारी कर ली गई है। अचरज की बात यह है कि यह सूची जब जारी हुई तो लोग खोदा पहाड़, निकली चुहिया जैसे एहसास के तले नर्वस होने को मजबूर हो गये। अगर पुलिस में सिपाही और ड्राइवर भी सबसे ज्यादा भारी-भरकम है जिनके हटाने से सारे गलत काम बंद हो जायेगें तो इस सोच का भगवान ही मालिक है। बहरहाल एसपी की इस कार्रवाई के बाद सारे एसओ बहुत प्रसन्न हैं। स्थिरता और अखंडता की अपने अधिकारियों की समझदारी पर वे वाह-वाह कर रहे हैं।






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