उरई। सतयुग के समय के ऋषियों की कठिन तपस्या को आज के श्रद्धालुओं ने अभी तक केवल पढ़ा और सुना था लेकिन रामपुरा क्षेत्र में एक युवा संत इसे साकार रूप में दिखा रहा है जिससे आस्थावान जनसमुदाय की अपार भीड़ बरबस ही उनकी ओर खिचती चली जा रही है। रामपुरा क्षेत्र में श्री शक्ति पीठ मां बराही घाट निनावली जागीर सरकार के अंतर्गत पहुज नदी के तट पर लगभग 22 वर्ष की उम्र के युवा साधू की साधना आसपास के कई जनपदों में कुछ ही दिनों में चर्चा का विषय बन गई है। भक्तों ने बताया कि संत जी 90 दिन से जलती हुई धूप में एक ही स्थान पर जमे हुए हैं। जबकि आज के मौसम में कुछ मिनट तक खुले स्थान पर बैठना दूबर है। लोगों ने बताया कि युवा संत निनावली जागीर ग्राम के ही रहने वाले हैं लेकिन विरक्त होने के बाद वे वृंदावन धाम चले गये थे जहां उन्होंने एक संत से गुरुदीक्षा ली। कई वर्षों तक वृंदावन धाम में भक्ति तप करने के बाद उन्हें अपने गांव लौट जाने की पे्ररणा हुई। बकौल युवा संत जहां उन्होंने अपनी धूनी रमाई है वहां पहले कभी सिद्ध स्थान था जहां मेला लगता था। कालांतर में निनावली जागीर के उस स्थान के पुण्य क्षीण हो गये। जिससे सिद्ध स्थान साधारण स्थान बन गया। उनका सकंल्प है कि वे अपने तपोबल से इस स्थान की सिद्धि को पुनर्जीवित करेगें।






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