उरई। इकलासपुरा रोड पर बने महिला थाना की सुरक्षा, व्यवस्था को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। हालांकि वहां पर अभी महिला थाना खुला नहीं है। आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित महिला थाना इस समय वीरान पड़ा है। मात्र एक चौकीदार सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैद हैं तो वहीं, महिला थाने का निर्माण कराने वाला ठेकेदार महिला थाने को हैंडओवर करने को आलाधिकारियों से लेकर कार्यदायी संस्था के चक्कर लगा रहा हैं, लेकिन सभी लोग कदम पीछे खींच रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक ठेकेदार महिला थाने की सुरक्षा करता रहेगा।
बताते चले कि इकलासपुरा रोड पर मेडिकल कालेज के पीछे एक करोड़ की लागत से यूपी प्रोजेक्ट कारपोरेशन के तहत महिला थाने का निर्माण कराया गया। जिसका ठेका योगेंद्र चौहान नामक ठेकेदार को दिया गया था। चौकाने वाली बात तो यह हैै कि वर्ष 2012 में उक्त बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई थी, इसमें विद्युत फिटिंग से लेकर पानी तक की व्यवस्था ठेकेदार ने कराई थी। बिल्डिंग तैयार हुए पांच साल गुजर गए हैैं, लेकिन अभी तक यह बिल्डिंग कार्यदायी संस्था ने अपने कब्जे में नहीं ली है। हालांकि ठेकेदार योगेंद्र चौहान द्वारा कार्यदायी संस्था यूपी प्रोजेक्ट कारपोरेशन के अधिकारियों के पास लगातार चक्कर लगा रहा हैं, तो वहीं, पुलिस अधीक्षक से लेकर डीआईजी, आईजी, कमिश्नर तक सूचना भी भेजी है, लेकिन किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। वीराने में बनी यह बिल्डिंग पांच साल से सफेद हाथी की तरह खड़ी हुई है। जिसकी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल भी खडे़ हो रहे हैं। आधुनिक सुविधाओं से लैस महिला थाने में लाखों का सामान लगा हैैं। हालांकि ठेकेदार द्वारा इस बिल्डिंग की सुरक्षा को लेकर निजी पैसे से एक चौकीदार की व्यवस्था की गई है, लेकिन अब वह अपने पैसे खर्च करने के मूड में नहीं है। अगर कभी बिल्डिंग में चोरों ने सेंधमारी कर दी तो इसका खामियाजा कौन भुगतेगा।
इनसेट-
चौकीदार के नाम पर निकाला जा रहा धन
वर्ष 2012 में बना महिला थाना की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कार्यदायी संस्था के अधिकारियों द्वारा लंबा फीलगुड भी किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो संस्था के अधिकारी 244 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से सुरक्षा गार्ड के नाम पर रुपये निकाले जा रहे हैं। अगर पांच साल की बात करें तो लगभग कार्यदायी संस्था के अधिकारियों द्वारा पांच लाख रुपये का बंदरबांट किया गया है। मजे की बात तो यह है कि जब थाने की सुरक्षा के लिए ठेकेदार जेब से चौकीदार को मानदेय दे रहा है ंतो फिर संस्था के अधिकारियों ने किस चौकीदार की तैनाती हैं, यह समझ से परे हैं।






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