माधौगढ़-उरई। ब्लॉक के अमखेड़ा गांव में बगिया बाले शंकर जी के स्थान पर 400 बर्षों से मेले का आयोजन किया जा रहा है। गांव तक ही सीमित रहने बाले इस मेले का आयोजन गांव की युवा टीम करती है। जिसका सहयोग पूरा गांव करने लगा है।

अमखेड़ा में बगिया बाले शंकर जी स्थान की मान्यता है कि कोई भी शिवलिंग की पूजा नहीं कर पाया। सुबह कितनी भी जल्दी देखा जाए पूजा हो चुकी होती है। मंदिर के पास ही सिद्ध बाबा की समाधि है,जोकि सिद्धस्थान के रूप में ग्रामीणों के बीच प्रसिद्ध है। जब लोगों की मान्यताएं बगिया बाले शंकर जी पर पूरी होने लगी तो भक्तों का विश्वास और बढ़ गया। हालांकि मेले की शुरुआत 400 बर्षों से चली आ रही है,ग्राम प्रधान रामशरण दौहलिया ने स्थान का विकास कराया तो पास में ही कुँया के 600 बर्ष पूर्व खुदाये जाने के प्रमाण मिल हैं। जिसके बाद तो गांव बाले उस स्थान को अपनी आस्था का केंद्र मानने लगे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि शिवलिंग को सिरसा के लोग ले जाना चाह रहे थे,तो वह इतने भारी हो गए कि फिर मजबूरी में उन ग्रामीणों को वहीं छोड़ना पड़ा। अब हर साल बसंत पंचमी के दिन अखंड रामायण का पाठ, भंडारा और मेले का आयोजन होने लगा। हालांकि इसके पहले ग्रामीणों ने उस स्थान पर भागवत कथा का आयोजन कराया था,जिसमे चींटी,पशुयों से लेकर इंसानों तक का भंडारा हुया था। शंकर स्थान और मेले का गांव की युवा टीम छोटू उपाध्याय,रनवीर सिंह,रामजी विश्वकर्मा,शैलू,माताप्रसाद,बिनायमोहन,शिवजी उपाध्याय आदि देखरेख एवं व्यवस्था करते हैं।

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