उरई। कोरोना संकट में फूलों की खेती अनिल कुमार की ग्रहस्थी की बहार उजाडने वाली बन गयी। उन्होंने 7000 रूपये प्रति बीधा की दर से बाईपास पर 10 बीघा खेत किराये पर लिया था। पूरे खेत में गेंदा के फूल खिले थे। नवरात्र की पूजा और इसी के साथ विवाह की भरी पूरी लग्नें अनिल कुमार के भी मन की बगिया में बेतहाशा मुनाफा होने की कल्पना से खुशियों केे ढेरों फूल खिल गये थे। पर कोरोना संकट के कारण घोषित किये गये लाॅक डाउन के चलते सब कुछ उजड गया।
फूलों की खेती का कारोबार पिछले कुछ वर्षाें से शहर में शबाब पर पहुच गया था। मुहल्ला तिलक नगर निवासी 50 वर्षीय अनिल कुमार जैसे साधारण मालियों को इससे अचानक खासे-खुशहाल होने की राह मिल गयी थी। जितना फुल होता सब आसानी से शहर में खप जाते थे। शादियों की सजावट और मंदिरों में फूल की डिमाण्ड नये फैशन के चलते आसमान पर पहुंच गयी थी। आज अनिल के गेंदे अपने खेत में ही मुरझाने को अभिशप्त हो चुके है। कोई मुफत में भी ये फूूल ले जाने को तैयार नहीं है। कई मजदूरों को भी फुलांे की खेती में परमानेन्ट रोजगार मिला था। लेकिन अनिल को सबकी छुटटी करनी पडी।
अनिल के परिवार में पत्नी के अलावा दो लडके और एक लडकी है। वे बहुत धूम-धाम से लडकी की शादी की योजना बनाये हुए थे। लडकों की अच्छी पढाई के लिए दिल खोल कर खर्च कर रहे थे। पर अब सब बिखरता नजर आ रहा है। अनिल कहते है कि कोरोना संकट अनिश्चित है। लाॅक डाउन कागजों में खत्म कर भी दिया जायेंगा तो सामान्य दिन कब तक बहाल होंगे इसे लेकर कुछ नही कहा जा सकता है। अब तो पूंजी खानी है। लगता है कि वक्त जहां से चले थे उसी ठौर पर पटककर मानेगा।






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