बाराबंकी। आज कोरोना काल में सोशल डिस्टेनसिंग सबसे बड़ी जरूरत बताई जा रही है। अब धीरे धीरे हम लोग अनलॉक-1 फेज में प्रवेश कर रहे हैं। इस दौर में शारीरिक दूरी बना कर खेले जाने वाला भारत का स्वदेशी नॉन-कॉन्टैक्ट स्पोर्ट ’पतंगबाजी’ वास्तव में सोशल डिस्टेनसिंग का संदेश देता है। ’वामा सारथी के बाराबंकी चौप्टर’ ने कोरोना पुलिस वारियर्स के परिवारों के मनोरंजन के लिए 31 मई को शाम 4 बजे पुलिस लाइन्स के फुटबॉल ग्राउंड में कुछ कनकौवेबाज़ों को आमंत्रित कर प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसका उद्घाटन जिलाधिकारी, बाराबंकी डॉ आदर्श सिंह ने किया। इसमें बाराबंकी टीम ने लखनऊ टीम को हरा दिया। पुलिस लाइन्स के रिक्रूट कॉन्स्टेबल्स और आवासीय परिसर के बच्चों ने बहुत उत्साह से इसमें हिस्सा लिया। पतंगों पर कोरोना के प्रति जागरूक करने जैसे मास्क पहनें, हाथ धोते रहें, शारीरिक दूरी बनाएं आदि स्टीकर लगाए गए। हमारे पड़ोसी शहर लखनऊ में पतंगबाजी की बहुत पुरानी परंपरा रही है। लखनऊ में वैसे तो साल भर लेकिन खास कर अन्नकूट/दीवाली के अगले दिन ’जमघट’ के मौके पर शायद ही कोई लखनवी पतंग उड़ाने से बाज़ आता होगा। लखनऊ के कनकौवेबाज़ लॉडस्पीकर लगा कर ’बदे’ (शर्त लगा कर पतंग लड़ाना) लगाते हैं और वो काटा वो काटा से वाहवाही दी जाती है। ’चांद तारा, मत्थेदार, लट्ठेदार, माँगदार, चप (आधे-आधे रंग वाली) जैसी पतंगों’ का बोलबाला रहता है। ढील दे कर गोता लगा कर पेंच लड़ाना पतंगबाजी की अदा होती है। इसमें भी टॉस होता है और टीम साइड और नीचे से पेंच लड़ाने का प्रीफेरेंस लेतीं हैं। कमेंट्री के साथ इस खेल में बड़ा उत्साह और रोमांच रहता है।






Leave a comment