उरई | जालौन नगर में तालाबों और तलैयाओं पर भू-माफियाओं का कब्जा एक गंभीर मुद्दा बन गया है। नगर पालिका के अभिलेखों में दर्ज 16 तालाबों और तलैयाओं में से आधा दर्जन पर भू-माफियाओं ने राजस्व अभिलेखों में हेरफेर कर अवैध रूप से कब्जा कर लिया और उन्हें मोटी रकम में बेच दिया। मोहल्ला नारोभास्कर, भवानीराम और घुआताल के तालाबों पर हुए कब्जे और बिक्री के मामलों ने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उप जिलाधिकारी (एसडीएम) विनय मौर्य ने कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सभी तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराने का आश्वासन दिया है।
तालाबों पर भू-माफियाओं का कब्जा
जालौन नगर में तालाबों पर भू-माफियाओं की नजर लंबे समय से रही है। मोहल्ला नारो भास्कर के वार्ड नंबर 25 में मैना बाई के नाम से जानी जाने वाली तलैया, जो लगभग एक एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली थी, इसका ताजा उदाहरण है। यह तलैया बाजार के निकट होने के कारण भू-माफियाओं के निशाने पर थी। वर्ष 2015 में भू-माफियाओं ने राजस्व अभिलेखों में हेरफेर कर इस तलैया को दो व्यक्तियों के नाम दर्ज कराया और फिर इसे करोड़ों रुपये में बेच दिया।
इसी तरह, मोहल्ला भवानीराम में कुम्हरघड़ा के नाम से प्रसिद्ध तलैया पर एक कद्दावर समाजवादी पार्टी (सपा) नेता ने जबरन कब्जा कर लिया और वहां प्लॉट बेचे जा रहे हैं। मोहल्ला घुआताल में लगभग दो एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैले तालाब पर भी भू-माफियाओं ने बड़े पैमाने पर कब्जा कर लिया है। यह केवल कुछ उदाहरण हैं; नगर के अन्य तालाबों और तलैयाओं पर भी भू-माफियाओं ने कब्जा कर उन्हें बेचने का सिलसिला जारी रखा है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जब इस मामले में उप जिलाधिकारी विनय मौर्य से बात की गई, तो उन्होंने कहा, “कोर्ट के आदेश पर जालौन नगर के सभी तालाबों और तलैयाओं की नाप-जोख कराई जाएगी। अवैध कब्जों को हटाकर तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा।” हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की ओर से अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिसके कारण भू-माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव
तालाबों और तलैयाओं पर हो रहे अवैध कब्जे न केवल सरकारी जमीन की लूट हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा हैं। ये तालाब जल संरक्षण, भूजल स्तर को बनाए रखने और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके अतिक्रमण से न केवल जल संकट बढ़ रहा है, बल्कि स्थानीय समुदाय की आजीविका और पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों और राजनीतिक दलों की नाराजगी
स्थानीय निवासियों और कुछ राजनीतिक दलों ने भू-माफियाओं और प्रशासन की मिलीभगत के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बिना स्थानीय अधिकारियों और राजस्व विभाग की सहमति के इतने बड़े पैमाने पर तालाबों का अतिक्रमण और बिक्री संभव नहीं है। लोगों ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषी भू-माफियाओं के साथ-साथ इसमें शामिल अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाए।
सपा नेता पर गंभीर आरोप
मोहल्ला भवानीराम में कुम्हरघड़ा तलैया पर कब्जे के मामले में एक कद्दावर सपा नेता का नाम सामने आना इस मामले को और गंभीर बनाता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस नेता ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर तलैया पर कब्जा किया और वहां प्लॉट बेचकर मोटी कमाई की। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने सपा पर निशाना साधते हुए इसे सत्ताधारी नेताओं की मनमानी बताया है।
जालौन नगर के तालाबों और तलैयाओं पर भू-माफियाओं का कब्जा और उनकी बिक्री न केवल सरकारी संपत्ति की लूट को दर्शाता है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर करता है। एसडीएम के आश्वासन के बावजूद, जनता में यह सवाल उठ रहा है कि क्या वास्तव में तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। इस मामले में उच्च स्तरीय जांच और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि तालाबों को उनके मूल स्वरूप में लौटाया जा सके और भू-माफियाओं पर लगाम लगाई जा सके। स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी अब प्रशासन के अगले कदम पर नजर रखे हुए हैं।







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