उरई (जालौन), 17 दिसंबर। गायत्री प्रज्ञा पीठ, मुसमरिया में आयोजित राष्ट्र जागरण नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के चतुर्थ दिवस का आयोजन बुधवार को श्रद्धा, अनुशासन एवं वैदिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम प्रातःकालीन एवं अपराह्न सत्र में विभाजित होकर आयोजित किया गया।प्रातःकालीन सत्र में गायत्री महायज्ञ वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार दो पालियों में संपन्न हुआ। इस दौरान कई नामकरण एवं विद्यारंभ संस्कार भी कराए गए। यज्ञशाला मंत्रोच्चार एवं वेदध्वनि से गुंजायमान रही।देव पूजन क्रम में प्रधान कलश पूजन श्री डॉ. नबाब सिंह (उरई), प्रधान दीपक पूजन वीरेन्द्र सिंह, विश्वमाता, देवमाता एवं वेदमाता गायत्री पूजन रामरूप सिंह, परम् पूज्य गुरुदेव एवं वंदनीया माताजी पूजनज्ञान प्रकाश (मुसमरिया) तथा मुख्य तत्व वेदी पूजन धर्मवीर सिंह द्वारा संपन्न कराया गया।
यजमानों ने गायत्री महामंत्र, महामृत्युंजय महामंत्र एवं विशेष आहुतियों के माध्यम से यज्ञ भगवान से समाज एवं राष्ट्र कल्याण की कामना की। वक्ताओं ने यज्ञ के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह धार्मिक प्रवृत्ति वाले लोगों को सत्प्रयोजन के लिए संगठित करने एवं सामाजिक चेतना जागरण का माध्यम है। अंत में सभी श्रद्धालुओं ने यज्ञशाला की परिक्रमा कर आशीर्वाद प्राप्त किया।दोनों सत्रों का संचालन अंतर्राज्यीय वक्ता श्री लक्ष्मण सिंह जादौन ने किया। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज, हरिद्वार से पधारी टोली ने पूर्ण यज्ञ विधान वैदिक परंपरा अनुसार संपन्न कराया।अपराह्न सत्र में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का वर्णन हुआ। श्री सुंदर लाल वर्मा (उरई) द्वारा कथा व्यास आदरणीय “भोले श्री” अनिलेश तिवारी का तिलक एवं पुष्पमाला से स्वागत किया गया। कथा का प्रारंभ नाम संकीर्तन से हुआ।कथा प्रसंग में नैमिषारण्य तीर्थ की स्थापना, शौनकादि ऋषियों की जिज्ञासाएं, सूत जी के उत्तर, शुकदेव जी, जड़ भरत तथा अश्वत्थामा प्रसंगों का विस्तृत वर्णन किया गया, जिससे श्रोताओं को भक्ति, वैराग्य एवं आत्मकल्याण का गहन संदेश मिला।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस आयोजन से क्षेत्र में धार्मिक एवं सांस्कृतिक वातावरण और सुदृढ़ हुआ है।







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