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Tuesday, October 22, 2024

धौलपुर नगर परिषद आयुक्त विलेन बन कर खड़े हो गए फिर भी सफल संपन्न हुआ फिल्म फेस्टिवल

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धौलपुर में चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में देश-विदेश की फिल्में दिखाई गईं, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए
धौलपुर: चंबल परिवार द्वारा आयोजित ‘चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ का सातवें संस्करण देश-दुनिया की प्रमुख शख्सियतों की मौजूदगी में नगर परिषद सभागार में संपन्न हुआ। फिल्म फेस्टिवल के दौरान धौलपुर नगर परिषद आयुक्त किंगपाल सिंह राजौरिया ने आयोजन को रोकने की पूरी कोशिश की। सभागार में बिजली आपूर्ति भी कटवा दी लेकिन इसके बावजूद भी आयोजकों ने आयोजन सफलता पूर्वक करा लिया।
चंबल इंटरनेशनल फिल्म समारोह के चेयरमैन फिल्म निर्देशक डॉ. मोहन दास, फिल्म निर्माता धर्मेंद्र वर्मा, फिल्म निर्देशक डॉक्टर ओमेन्द्र कुमार, सुविख्यात रंगकर्मी मुकेश वर्मा, नगर परिषद सभापति श्रीमती खुशबू सिंह,  चंबल टूरिज्म के प्रभारी डॉक्टर कमल कुशवाहा आदि अतिथियों ने संयुक्त रूप से उद्धाटन कर अन्तराष्ट्रीय फिल्म मानचित्र पर धौलपुर को पहचान दी। फिल्म उद्धाटन समारोह से पहले ‘चंबल मे जनजीवन’ रंगोली व ‘चंबल में प्रवासी पक्षी’  विषय पर पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई। विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने इसमें बड़े उत्साह से हिस्सा लिया।
फिल्म फेस्टिवल चेयरमैन प्रोफेसर मोहन दास ने कहा कि चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल पूरे विश्व में पांव पसार रहा है। इसकी लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जिससे इस बार 32 देशों के फिल्मकारों ने 184 फिल्में भेजी थीं। समारोह की ज्यूरी में मेरे अलावा अभिनेत्री और मॉडल मान्या पाठक, लेखिका-निर्देशिका डॉ. अनुषा श्रीनिवासन अय्यर, निर्देशक, लेखक एवं व्याख्याता वाल्मिर टर्टिनी, फिल्म निर्माता-निर्देशक जलालुद्दीन गसीमोव ने खासा सहयोग दिया।
चंबल इंटरनेशन फिल्म फेस्टिवल की ज्यूरी ने देश-दुनिया की इन फिल्मों को अलग-अलग कैटेगरी में अवार्ड दिए। फीचर फिल्म कैटेगरी में स्निग्धा बिश्वास और सौरीश डे की फिल्म ‘बाघ’ को बेस्ट फीचर फिल्म का पुरस्कार दिया गया। धीरज कश्यप की फिल्म ‘ब्रह्मकन्या’ को सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म और वरदराज स्वामी की फिल्म ‘रोमांटिक टुकड़े’ को बेस्ट एक्सपेरिमेंटल फिल्म का अवार्ड दिया गया। ब्रह्मकन्या के लिए धीरज कश्यप को बेस्ट डायरेक्टर और शिराज हेनरी को ‘मैकेनिक दादा’ फिल्म के लिए बेस्ट सिनेमैटोग्राफी कैटेगरी का अवार्ड दिया गया। करन किशोर परब को ‘रूप नगर के चीते’ फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर और ‘बनवारी की अम्मा’ फिल्म के लिए सुमन पाठक को बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड दिया गया। इनके अलावा भी कई अन्य कैटेगरी में अवार्ड दिए गए।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में धौलपुर के विभिन्न कलाकारों ने शानदार प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। गायिकी में तन्वी उपाध्यय ने सभी का ध्यान खींचा। वॉइस ऑफ धौलपुर अवनी जैन ने अपनी सुरीली आवाज से सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। अनुष्का तिवारी, भूमि और हेमलता जैसी प्रतिभाओं ने विभिन्न गानों पर नृत्य प्रस्तुत कर अपनी कला का प्रदर्शन किया। भाग्या दीक्षित ने मारक कविता पाठ कर महिलाओं और बेटियों को सेल्फ डिफेंस का संदेश दिया। ‘चंबल घाटी में फिल्म उद्योग की अपार संभावनाएं’ विषय पर उद्घाटन समारोह केन्द्र बिंदु बना। उद्धाटन समारोह का संचालन करते हुए  जाने माने टीवी होस्ट और भाग मिल्खा भाग फिल्म फेम राशिद हारून व दुर्गाशरण दुबे ने चंबल में इतिहास, संस्कृति, पर्यटन, फिल्म निर्माण की पृष्ठभूमि बताते हुए सत्र को आगे बढ़ाया।
धौलपुर नगर परिषद आयुक्त की जिद से पहले दिन आया व्यवधान
धौलपुर शहर में इतना बड़ा आयोजन हो रहा था लेकिन धौलपुर नगर परिषद आयुक्त किंगपाल सिंह राजौरिया उद्धाटन समारोह न होने देने की जिद पर अड़े हुए थे। जिला कलेक्टर के कहने के बावजूद भी वह बार-बार कार्यक्रम को बाधित करते रहे। आयोजकों के मुताबिक यह उनकी निजी खुन्नस थी जिसकी वजह से वह बाधा डाल रहे थे। आरोप यह भी है कि नगर परिषद आयुक्त किंगपाल सिंह राजौरिया ने जहां भी कार्य किया उनका कार्यकाल दागदार ही रहा। उन पर रिश्वतखोरी का आरोप भी लग चुका है।
नगर परिषद आयुक्त किंगपाल सिंह राजौरिया के बाधा डालने और बिजली काटे जाने से शहर के मानिंद लोग, विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं सहित सारे अतिथि कई बार अंधेरे सभागार में बैठे रहे। उद्घाटन समारोह में ही व्यवधान कर सारा सामान बाहर निकलवा दिया गया। नगर परिषद आयुक्त की यह करतूत और बारिश आयोजकों के हौसलों को पस्त न कर सकी। तत्काल बिजौली में डेढ़ दिन का समारोह शिफ्ट किया गया। जहां देर रात तक चयनित फिल्मों का प्रदर्शन चलता रहा।
दूसरे दिन फिल्म वर्कशाप के बाद बची हुई फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। समापन समारोह में पधारे प्रसिद्ध आकाशवाणी एंकर रहे और अभिनेता यतीन्द्र चतुर्वेदी ने चंबल के माटी का गुणगान करते हुए नई प्रतिभाओं को कैरियर के कई टिप्स दिये। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुहम्मद नईम ने लोक संस्कृति के संरक्षण पर जोर दिया। फिल्म समारोह के संस्थापक क्रांतिकारी लेखक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि व्यक्ति, समाज और सरकारों की नेकनीयती से चंबल फिल्म फेस्टिवल इस क्षेत्र में पर्यटन- रोजगार का जरिया बनेगा। उन्होंने कहा कि हम लगातार चंबल अंचल में बगैर किसी सरकारी या गैर सरकारी स्पांशरशिप के प्रति वर्ष कई दर्जन बड़े कार्यक्रम चंबल की छवि बदलने और बेहतरी के लिए हमख्याल मित्रों के सहयोग से करते हैं। समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए संजय शर्मा ने कहा कि फिल्म समारोह के अगले वर्ष के आयोजन के लिए आज से ही हम सभी को तैयारी के लिए जुटना है। समापन समारोह के बाद फेस्टिवल में दिखाई गई फिल्मों से जुड़े लोगों का सम्मान किया गया।
फिल्म फेस्टिवल के दौरान हुए रंगोली, पेटिंग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों प्रतियोगिता में 14 संस्थानों के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। इसकी ज्यूरी में बाबी सिंह, कर्नल नीलेश हिंगले, रागिनी, राघवेंद्र गोयल, मनीषा शामिल थे। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र, विजेताओं को मेडल और शील्ड प्रदान किये गये।
‘चंबल में आके तो देखो’ नाम से दो दिवसीय प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें कई दशक से चंबल की खूबसूरती को अपने कैमरे से कैद करने वाले फोटोग्राफर राजीव तोमर और 11 वर्षों से चंबल के मुद्दों पर लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार ज्योति लवानिया द्वारा टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट की मुहिम पर लिखी खबरों और चंबल की तस्वीरों की फोटो प्रदर्शनी दर्शकों द्वारा काफी सराही गई। चंबल अंचल पर केंद्रित दुर्लभ पुस्तकों की प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही। जीवाजी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता अध्ययनशाला विद्यार्थियों ने दस्तावेजीकरण की जिम्मेदारी के साथ जयंत ध्रुव,  नरेंद्र सिंह, रूद्र सिंह, आदिल खान, शिव कुमार, बुद्ध प्रकाश, होतम कुमार, जगभान पाल आदि ने वालिंटेयर की भूमिका निभाई।
फिल्म समारोह को संबोधित करते हुए प्रोफेसर शाह अयाज सिद्दीकी ने कहा कि चंबल अंचल की प्रतिभाएं अद्भुत हैं, हम यहां दोबारा आना चाहता चाहते हैं। यहां के लोगों के बीच जितना दिमागी सुकून मिलता है उतना कहीं नहीं मिलता। फिल्म निर्माता धर्मेंद वर्मा ने कहा कि चंबल में काफी खूबसूरत लोकेशन हैं लेकिन हम लोग यहां आने से डरते हैं कि फिल्म शूर्टिंग अनुमति को लेकर काफी दिक्कते हैं। शूटिंग के दौरान दिमाग पर भारी दबाव रहता है कि अगर अचानक से प्रशासन द्वारा फिल्मांकन रुकवा दिया जाय तो लाखों का नुकसान हो जाएगा।
चर्चित फिल्म अभिनेता मतीन खान ने अपने संबोधन में फिल्मों की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा फिल्म ‘एक सपने की तरह होती है जो काम आप रियल लाइफ में नहीं कर पाए उसे रील लाइफ में जी सकते हैं।’ वे आगे कहते है कि कैमरे के सामने आते ही मैं अपनी निजी जिंदगी भूल जाता हूं। धौलपुर नगर परिषद सभापति खुशबू सिंह ने धौलपुर और चंबल की धरोहरों और विरासतों की चर्चा करने के बाद बेहद खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पहली बार मुझे इतनी बड़ी और सरोकारी फिल्मी हस्तियों से रूबरू होने का मौका मिला। चर्चित रंगकर्मी और फिल्म निर्देशक मुकेश वर्मा ने यहां फिल्म हब बनाने को लेकर आगे की ठोस रणनीति बनाने का सुझाव दिया।

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