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Tuesday, December 3, 2024

काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष समारोह की तैयारियों में जुटा चंबल परिवार

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पंचनद, जालौन: काकोरी ट्रेन एक्शन का शताब्दी वर्ष शुरू होने में महज चंद दिन ही शेष हैं। काकोरी शताब्दी वर्ष को ऐतिहासिक बनाने के लिए चंबल संग्रहालय, पंचनद परिसर में तैयारियां जोरों पर हैं। आयोजन को सफल बनाने के लिए संपर्क अभियान और पोस्टकार्ड-पत्र के जरिए लोगों को इस मुहिम से जोड़ने की कवायद जारी है।
चंबल संग्रहालय द्वारा ‘काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष समारोह’ का पहला आयोजन 8-9 अगस्त 2024 को गोरखपुर में हो रहा है। काकोरी केस के महानायकों से जुड़े अन्य स्थानों अयोध्या, गोण्डा, शाहजहांपुर, बरेली, फर्रूखाबाद, कानपुर, सुल्तानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, औरैया, मुरैना, मेरठ आदि शहरों में कार्यक्रम करने के बाद 7-8 अगस्त 2025 को लखनऊ में इसका विधिवत समापन होगा।
काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान चंबल संग्रहालय में संरक्षित काकोरी केस के नायकों से संबधित पत्रों, डायरी, टेलीग्राम, स्मृति चिन्ह, समाचार पत्र, पत्रिकाएं, पुस्तकों, तस्वीरों, मुकदमें की सभी फाइलों की प्रदर्शनी से नई पीढ़ी इस स्वर्णिम इतिहास से रूबरू हो सकेगी। शताब्दी समारोह में सेमिनार, फिल्म प्रदर्शन, किस्सागोई, नाटक, रैली, क्विज, रंगोली और पेंटिग प्रतियोगिता के साथ-साथ विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाएंगे। चंबल संग्रहालय के बैनर तले समारोह को यादगार बनाने के लिए, दस्तावेजी फिल्म और पुस्तक का प्रकाशन भी किया जाएगा।
गौरतलब है कि हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी के महज दस क्रांति योद्धाओं ने काकोरी के नजदीक ट्रेन रोककर फिरंगी सरकार को खुली चुनौती देते हुए सरकारी खजाना हथिया लिया था। इन पैसे से माऊजर खरीदना क्रांतिवीरों का मकसद था। बौखलाई अंग्रेजी हुकूमत ने पूरी ताकत लगाकर दर्जनों क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर दो चरणों में मुकदमा चलाया। मुकदमें में उन पांच क्रांतिकारियों को भी शामिल कर लिया गया जिनका काकोरी एक्शन से कोई वास्ता नहीं था लेकिन इससे पहले पीलीभीत में 25 दिसंबर 1924 बमरौली गांव, 9 मार्च 1925 को बिचपुरी गांव और प्रतापगढ़ में 24 मई 1925 द्वारकापुर गांव में एक्शन में शामिल थे। इसके अलावा बगैर किसी एक्शन में शामिल हुए सिर्फ एचआरए से जुड़े होने पर 11 क्रांतिकारियों पर अभियोग चलाकर लंबी-लंबी सजाएं दी गईं। काकोरी ट्रेन डकैती में शामिल 10 क्रांतिनायको में से चंबल अंचल से पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और भारतवीर मुकन्दीलाल गुप्ता प्रमुख महानायक प्रेरणास्रोत हैं। चंबल संग्रहालय के संस्थापक डॉ. शाह आलम राना ने इस अभियान में सभी देशवासियों से जुड़ने की अपील की है।

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