जगम्मनपुर-उरई । विकास खंड रामपुरा के जगम्मनपुर बाजार में अतिक्रमण के कारण पूरे दिन यातायात बाधित रहता है वही पानी की टंकी के लिए कुंआ में पड़ी समरसेबल चोरी हो जाने व हैंडपंप खराब होने से लोग खरीदकर पानी पीने को मजबूर है।
माधौगढ़ तहसील अंतर्गत विकासखंड रामपुरा की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत जगम्मनपुर का बाजार लगभग डेढ़ किलोमीटर की लंबाई में फैला है जिसमें अनुमानित 450 छोटी , बडी दुकाने हैं । पंचनद क्षेत्र के 15 किलोमीटर तटवर्ती इलाके में जिला इटावा ,जिला औरैया एवं जिला जालौन के लगभग 55 गांव के ग्रामीण अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जगम्मनपुर बाजार में ही खरीद फरोख्त करते हैं । साढे चार सौ वर्ष पुराना यह बाजार अपने बीते सुनहरे दिनों की याद दिल में संजोए वर्तमान में अपने बुरे दिनों से आहत एवं पुनः भविष्य में अच्छे दिन आने की प्रतीक्षा कर रहा है । वर्ष 1952 में जब जगम्मनपुर रियासत का शासन था उस समय बाजार रौनक से भरपूर था । ग्रीष्म ऋतु में लगभग रात्रि 10 बजे और शीत ऋतु में रात 9 बजे तक इस बाजार में गहमागहमी रहती थी। वर्ष 1971 तक जब तक राजा वीरेंद्रशाह जूदेव जीवित रहे तब तक बाजार इसी तरह गुलज़ार नजर आता रहा । उनके निधन के उपरांत दुकानदारों ने अतिक्रमण करने की प्रतिस्पर्धा करते हुए बाजार के औसतन 30 फुट चौड़े मार्ग को संकरा कर यहाँ 15 से 20 फुट तक का रास्ता बना दिया परिणामस्वरूप इस मार्ग से आगरा, इटावा-भिंड, औरैया ,कानपुर, दिल्ली आदि जगहों के लिए गुजरने वाले वाहनों के कारण बाजार में पूरे दिन जाम लगा रहता है | इन वाहनों के हॉर्न की कर्ण भेदी ध्वनि लोगों को दिल दिमाग व मानसिक बीमार बनाने का कारण बन गयी है ।
गहराया पेयजल संकट
वर्तमान समय में बाजार के दुकानदारों एवं ग्राहकों को पानी के संकट का भी सामना करना पड़ रहा है । वैसे तो जगम्मनपुर बाजार में पेयजल की समस्या कभी नहीं रही लेकिन गत कुछ महीनो से यह समस्या पैदा हुई है । पूरे बाजार में मात्र एक हैंडपंप बीमार हालत में थोड़ा-थोड़ा पानी देकर लोगों के जीवन का आधार बना है जबकि बाजार के तीन अन्य हैंडपंप बहुत समय से ठप्प पड़े हैं जिसमें बाजार के मुख्य तिराहे का हैंडपंप जो पूरे बाजार की व आने जाने वाले लोगों की प्यास बुझाने के काम आता था वह तो अब बीते दिनों की स्मृति मात्र रह गया है वही लगभग 5 वर्ष पूर्व बाजार के मध्य बने कुआं ग्राम पंचायत द्वारा लाखों रुपए खर्च करके जीर्णोद्धार करवाये जाने के वाबजूद बेकाम साबित हो रहा है । गंदगी तथा कचरा पुनः कुआं में न जाए इसके लिए मजबूत लोहे का जाल लगवाकर कुआं के ऊपर छतरी भी बनवाई गई थी | कुआं की जगत पर पानी की टंकी का निर्माण करवाया गया था | कुआं में समरसेबल डाली गयी थी जिसके जरिये पानी लिफ्ट कर टंकी भरी जाती थी | लगभग 3 महीने तक एक ग्रीष्मकल में लोगों के लिए यह मशक्कत जीवनदायनी रही लेकिन इसके बाद वर्षा ऋतु आते ही कोई चोर पाइपलाइन सहित समरसेबल को निकाल कर ले गया परिणाम स्वरूप पानी की टंकी सफेद हाथी बनकर रह गई | उसका उपयोग बाजार के सफाई कर्मी झाड़ू एवं कचरा स्टोर के रूप में करने लगे । लाखों रुपए खर्च कर जीर्णोद्धार कराए गए कुएं का उपयोग होना बंद होते ही उस पर पुनः अतिक्रमण हो गया । बाजार में पीने के पानी की किल्लत होने से दुकानदार मजबूरी में ₹500 रूपये सिक्योरिटी जमा कर आठ किमी दूर रामपुरा से आने वाले ₹ कैंपर को खरीदने के लिए मजबूर हैं। दुकानदार तो पानी का कैंपर खरीद कर पेयजल समस्या का अस्थाई समाधान निकाल लेते हैं लेकिन बाजार में आने वाले बाहरी लोगों को पानी के लिए भटकते देखा जाता है | इससे क्षुब्ध लोगो को जगम्मनपुर की पेयजल व्यवस्था पर तंज सुनकर किसी भी जिम्मेदार का सिर लज्जा से झुक जाता है । अभी तो ग्रीष्म ऋतु का शुभारंभ है आने वाले दिनों में जब गर्मी चरम पर होगी तब हालात बहुत गंभीर होने की संभावना है | अतः समय रहते इस समस्या के निदान की आवश्यकता है।
उक्त संदर्भ में ग्राम प्रधान प्रज्ञादीप गौतम से पूछने पर उन्होंने बताया कि खराब हैंडपंप ठीक कराए जाने के लिए मिस्त्री से संपर्क किया गया है शीघ्र ही बंद पड़े हैंडपंपों को दुरुस्त करवा कर चालू कराया जाएगा एवं टंकी की साफ सफाई करवा कुआं में समरसेबल डलवाकर पेयजल की सामुचित व्यवस्था की जाएगी।