सिरसाकलार-उरई |
कुठौंद-उरई | ब्लॉक् के गाँव जखा मे पोस्ट गेजुएट किये लोग नौकरी की बजाय खरबूजे की खेती कम खर्चे में कर लाखो कमा रहे हैं |
सुधारे घर के हालात
बता दें कि जखा निवासी शिशुवेंद्र खरे जिन्होंने मेहनत कर एमए एलएलबी किया पर कही ठीक ठाक रोजगार न मिलने से घर आकर खरबूजे की खेती शुरू कर दी जिसमें मुनाफा लाखो का होने पर अब लगातर खेती कर रहे हैं |
शिशुवेंद्र खरे का कहना है कि हम खरबूजे का ऑनलाइन बीज विजय और निर्मल वेरायटी का मंगाते हैं जो जनवरी माह में पन्नी डालकर बोते हैं | चौथे महिने अप्रैल में फसल बिक्री लायक हो जाती है | 1 एकड़ में 12 हजार का बीज, 16 हजार की पन्नी , 5 हजार के ड्राफ्, 10 हजार की खाद , दवा अन्य खर्चे मिलाकर 40 हजार की लागत आती है
जबकि 1 एकड़ में 80 से 90 कुंतल खरबूजा पैदा होता है जो बाजार में 35 से 40 रु किलो बिकता है | इस तरह खर्च निकाल कर डेढ़ लाख का फायदा साल में हो जाता है |
शिशुवेंद्र खरे का कहना है कि हमारा खरबूजा नाम से बिकता है |
3 वर्षो से खरबूजे की खेती से 20 लोगो का परिवार आज अच्छे खासे शौक पूरे कर रहा है | घर में गर्मियों व सर्दियों के सभी साधन हो गए| बच्चे हमारे अच्छे विद्यलयो में पढ़ रहे हैं |
इसके पहले हम लोगों के पास इतना रुपया नही था कि गृहस्थी चला पाते | सभी मेहनत करते पर इतनि आमदनी नहीं होती | इसीलिये हम सभी शिक्षित हैं पर सभी इसी में लग गए हैं | खरबूजे की नगदी फसल के बाद उसी में गेहूँ ज्वार पैदा करते हैं |
खरबूजे खेती की प्रेरणा हमें गाँव के ही नत्थू सिंह तोमर जो भोपाल में कृषि विभाग में सर्विस करते है
से मिली और आज हम इस मुकाम पर पहुँचे \ 3 साल से खरबूजे से झूब कमा रहे हैं |
अब तो जखा के अलावा कई गांव में लोग खरबूजे की नगदी खेती कर अपना घर चला रहे हैं |