लखनऊ । उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची के पुनरीक्षण हेतु सभी जिलों में परिषदीय अध्यापकों की ड्यूटी बी०एल०ओ० के रूप में लगायी गयी है जबकि मुख्य सचिव उ०प्र० शासन के आदेश दिनांक 3 सितंबर 2012, अपर मुख्य सचिव उ०प्र० शासन के आदेश दिनांक 1 जून 2017 व इलाहबाद हाईकोर्ट की जनहित याचिका के निर्णय दिनांक 25 मार्च 2015 में स्पष्ट निर्देश हैं कि ‘उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम- 2011’ लागू होने के बाद परिषदीय शिक्षकों की ड्यूटी मतदाता सूची को अद्यतन करने जैसे गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगायी जा सकती है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने इस संबंध में बुधवार को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है।
प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा प्रत्येक गाँव में पंचायत सहायक कर्मी की नियुक्ति की गयी है जो ग्राम सचिवालय में बैठता और कम्प्यूटर, लैपटॉप, एंड्राइड मोबाइल, ब्रॉडबैंड आदि अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त व तकनीकी कार्य में दक्ष है। स्थानीय व्यक्ति होने के कारण वो ग्राम की भौगोलिक स्थितियों से पूरी तरह परिचित होता है। ग्रामवासी उससे विभिन्न कार्यों हेतु सीधे जुड़े होते हैं। इसलिए बीएलओ ड्यूटी जैसे गैर शैक्षणिक कार्य को पंचायत सहायक जैसे कर्मी को सौंपना चाहिए।
प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह ने माँग की है कि निपुण भारत मिशन योजना के दृष्टिगत बच्चों के हित में बेसिक शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त कर उसके स्थान पर पंचायत सहायक जैसे स्थानीय कर्मी को बीएलओ ड्यूटी का दायित्व सौंपा जाए जिससे शासन की मंशा के अनुरूप शिक्षक अपने मूल कार्य शिक्षण को पूरे मनोयोग से कर सकें व तय समय में निपुण लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।