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Thursday, November 21, 2024

*तीन सौ वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ बाबूपुरा मेला की रौनक जस की तस* ,*रामपुरा पुलिस की सख्त निगहवानी में सुरक्षा व्यवस्था चौकस*

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 रामपुरा -उरई । तीन सौ वर्ष पूर्व गांव बसाए जाने के दिन की स्मृति में सैयद बाबा की मजार के इर्द-गिर्द प्रारंभ हुआ बाबूपुरा का मेला आज भी ग्रामीण संस्कृति के साथ अपनी रौनक बरकरार बनाये हुए है ।
रामपुरा थाना अंतर्गत ग्राम बाबूपुरा के स्थापित होने के साथ-साथ यहां के चतुर्वेदी परिवार द्वारा प्रारंभ किया गया वार्षिक मेला आज तीन सौ वर्ष बीत जाने के बाद भी प्राचीन ग्रामीण संस्कृति के साथ अपनी रौनक बरकरार बनाये हुए है । हिंदी महीने की अगहन शुक्ल पक्ष की द्वितीया से प्रारंभ हुआ मेला अष्टमी अर्थात 7 दिन तक रहता है । इसमें प्रतिबर्ष औरैया ,इटावा ,जालौन के लगभग 300 दुकानदार विभिन्न प्रकार की घरेलू जरूरत के सामान की दुकान सजा लेते हैं। यहां की जलेबी सिंघाड़ा तथा मीठा नमकीन खाजा गरम गरम मूंगफली की सुगंध मेला में आने वाले ग्रामीण महिलाओं पुरुषों बच्चों किशोरों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती हैं ।
आज 14 दिसंबर को इस मेला के प्रथम दिवस में आसपास के ग्रामीण बड़ी संख्या में जुटे एवं वहां स्थापित पंचमुखी हनुमान मंदिर पर भजन कीर्तन करते हुए दर्शन करके प्रसाद चढ़ा रहे थे । वहीं सैकड़ाें लोग सैयद बाबा की मजार पर पान बताशा चढ़ाते हुए मन्नत मांगते दिख रहे थे । मेला के बीच बनी मजार पर बैठे कल्लन शाह बल्द मखदूम शाह निवासी जालौन ने बताया कि हमारे पूर्वज इसी गांव के निवासी थे । हमारे पूर्वजों द्वारा लगभग 300 वर्ष पूर्व सैयद बाबा की यह मजार बनाई थी । उसी समय से यहां लगातार मेला लगता है.हम लोग प्रतिवर्ष मेला के अवसर पर यहां सपरिवार आकर जश्न में शामिल होते हैं । उन्होंने बताया कि जो लोग इस मजार पर मन्नत मांगते हैं उनके मन की मुराद अवश्य पूरी होती है एवं किसी तरह की बाधा नहीं सताती हैं । इस प्राचीन मेला के प्रबंधक लक्ष्मीकांत चतुर्वेदी एवं उनके परिजन प्रदीप कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि हमारा गांव ज्वाला देवी के पास था , यमुना नदी में बाढ़ के समय प्रतिवर्ष जीवन संकट में पड़ जाता था तब हमारे पूर्वजों द्वारा बाबूपुरा नाम से गांव बसाया गया, उस समय आसपास के गांव के लोगों की दैनिक आवश्यकताओं के सामान की पूर्ति हेतु यहां मेला प्रारंभ किया गया जो आज भी पारंपरिक ढंग से चल रहा है। क्षेत्रीय समाजसेवी चंदन चतुर्वेदी ने बताया कि वर्ष 1995 में यहां रामस्वरूप दास त्यागी संत पधारे थे उन्होंने तपस्या साधना करके अपने गुरु नत्थी बाबा के सानिध्य में एक यज्ञ कराया था उस समय मेला का प्रबंध स्वर्गीय शीतल शरण चतुर्वेदी देखते थे.उनके सहयोग से 1995 में यहां पंचमुखी हनुमान जी मंदिर का निर्माण कराया गया जो इस मेले का प्रमुख मंदिर है । 75 वर्षीय अन्नू वाल्मीकि ने बताया कि आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व यहां ग्रामीणों के कहने पर सैकडो  लोगों की उपस्थिति में एक पेड़ के नीचे बनी सर्प की वामी को खोदते समय किसी अदृश्य शक्ति द्वारा मुझे 20-25 फीट दूर उछाल कर फेंक दिया गया था जिससे मैं बेहोश हो गया था उस समय नत्थी बाबा संत ने मंत्रोच्चारित जल से मुझे प्राणदान दिया था। मेला व्यवस्था में किसी तरह की वारदात न हो पाए इसके लिए थाना प्रभारी इंस्पेक्टर भीमसेन पोनियां एवं ऊमरी चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक रामचंद्र ने सशस्त्र महिला व पुरुष पुलिस के जवानों को पूरे मेले में जगह-जगह ड्यूटी पॉइंट बनाकर तैनात किया है। एसएचओ भीमसेन पोनिया एवं उपनिरीक्षक रामचंद्र हमराहियों के साथ मेला में भ्रमण कर दुकानदारों एवं लोगों को सुरक्षा का विश्वास दिला रहे हैं । इस अवसर पर इंस्पेक्टर भीमसेन पोनियां ने बताया कि दिन एवं रात के लिए अलग-अलग पुलिस जवानों की ड्यूटी लगाई गई है , किसी भी अराजक तत्व को अपराध या उपद्रव करने का अवसर नहीं मिल पाएगा , जो असामाजिक तत्व उपद्रव करेगा उसके विरुद्ध सख्त दंडात्मक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

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