जालौन-उरई | । जालौन गरौठा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के पांच बार सांसद रहे भानु प्रताप सिंह वर्मा की शिकस्त ने भारतीय जनता पार्टी की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। भानु प्रताप सिंह वर्मा की निष्क्रियता, पार्टी के अंदर जारी भयंकर गुटबाजी तथा शीर्ष स्तर के नेताओं का अहंकार पार्टी की पराजय का प्रथम दृष्टि में कारण दिखाई देता है। बुंदेलखंड अभी तक भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बन चुका था। पूर्व में यह बहुजन समाज पार्टी का गढ़ हुआ करता था। बीच के समय में जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार आई थी तब समाजवादी पार्टी ने बुंदेलखंड में थोड़ी बहुत पैठ बनाई थी। परंतु मोदी युग के आगमन के साथ बुंदेलखंड भारतीय जनता पार्टी का सुरक्षित गढ़ बन चुका था। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में यह गढ़ 75 प्रतिशत तक ढ़ह चुका है। बुंदेलखंड की चार सीटों में झांसी छोड़कर बाकी तीन सीटें जालौन, हमीरपुर व बांदा भारतीय जनता पार्टी हार चुकी है। इस हार ने भारतीय जनता पार्टी की स्थानीय स्तर की संगठनात्मक कमजोरियों को सतह पर ला दिया है। एक समय लोकसभा चुनाव की घोषणा के समय जालौन गरौठा भोगनीपुर सीट के सिटिंग सांसद व केंद्र में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त भानु प्रताप वर्मा अजेय स्थिति में दिखाई दे रहे थे। परंतु जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ा उनका चुनाव नीचे चला गया। मतदान के दिन तो खुलेआम उनके विरुद्ध स्वर सुनाई दे रहे थे। यह स्थिति अचानक नहीं आ गई। भानु प्रताप वर्मा को भाजपा ने पांच बार संसद जाने का मौका दिया। परंतु उनकी निष्क्रियता सदैव उन पर भारी रही। विगत कार्यकाल में निष्क्रियता के साथ-साथ उनके इर्द-गिर्द बना काकस इस चुनाव में उनकी हार का प्रमुख कारण बना।भानु प्रताप वर्मा अपनी जीत के प्रति इस हद तक आश्वस्त थे कि उन्होंने पूरे क्षेत्र में कहीं भी प्रत्याशी बनकर वोट नहीं मांगे। वह जहां भी जाते थे वहां कुछ प्रमुख लोगों के यहां बैठकर चाय नाश्ता कर वापस लौट जाते थे। जनपद में भारतीय जनता पार्टी के जनप्रतिनिधियों में अहंकार कूट-कूट कर भर चुका है |वो सत्ता की चाशनी के लिए अपने आसपास मंडराने वाले चाटुकारों को ही पूरी पार्टी मान बैठे हैं । परिणामस्वरूप मूल कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर निष्क्रिय हो गया है। एक पुराने कार्यकर्ता ने बताया कि वर्ष 2014 में जब हम 100 लोगों को बुलाते थे तब बैठक में 20 लोग आते थे।2017 आते-आते 100 लोगों में से 50 लोग आने लगे। परंतु 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद 100 लोगों को बैठक के लिए बुलाया जाता था और 500 आ जाते थे। यही भारी भीड़ अब भाजपा पर हावी हो चली है ।जो सर्वप्रथम 20 लोग आते थे वह अब हाशिये पर चले गए हैं। संगठन स्तर पर कार्यकर्ता की उपेक्षा और भानु प्रताप वर्मा की निष्क्रियता इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बहुत भारी पड़ी। परिणाम स्वरूप बेहद सुरक्षित जालौन गरौठा भोगनीपुर सीट भाजपा को गंवानी पड़ी।
भारतीय जनता पार्टी की हार का कारण निम्न तो नहीं
1,, केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा का जनता से दूरी बनाकर रहना तथा केवल अपने चहेतों में सिमटे रहना तो हार प्रमुख कारण नहीं।
2,, कहीं भारतीय जनता पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी तथा अंतर्कलह तो नहीं।
3,,, पांच बार के सांसद भानु प्रताप वर्मा का विकास के नाम पर कोई भी उल्लेखनीय कार्य नहीं कराना कारण तो नहीं ।
4- जालौन नगर के रोडवेज बस स्टैंड का कई वर्षों से निर्माण आज भी अधूरा नगर तथा क्षेत्रीय लोगों ने लगातार इसके निर्माण की मांग की थी।
5 सांसद बनने के बाद कभी भी जनता के बीच में न जाना तथा संगठन के कार्यकर्ताओं के सुख-दुख में भी न पहुंचना हार का कारण तो नहीं।