उरई.अनाज बैंक की लाभार्थी महिलाएँ अपने आपको कमजोर, असहाय महसूस न करें। यह बैंक उनको अनाज के रूप में मदद करने के साथ-साथ उनको स्वावलंबी बनाने की दिशा में भी कार्य करता है। इस सम्बन्ध में कई समाजसेवी, सरकारी एवं ग़ैर-सरकारी संस्थान भी समय-समय पर सहयोग करते हैं। कोरोना के बाद से पूर्व की चली आ रही लय में व्यवधान अवश्य आया है पर अनाज बैंक के कार्य न रुके हैं, न बाधित हुए हैं। ये विचार बुन्देलखण्ड के पहले अनाज बैंक की महाप्रबंधक डॉ० अमिता सिंह ने जोनल कार्यालय, उरई में नवम्बर माह के स्थापना दिवस कार्यक्रम में व्यक्त किये। अनिला राणावत की स्मृति में संचालित अनाज बैंक ने एक नवम्बर को अपने छह वर्ष पूर्ण किए। उनका कहना था कि इन छह सालों में समाज के अनेक क्षेत्रों से बहुत से लोग बराबर अनाज बैंक से जुड़ रहे हैं, इसके बाद भी और जागरूक लोगों का बैंक से जुड़ना अपेक्षित है। यहाँ की महिलाएँ क्रमशः अपना विकास भी कर रही हैं।
अनाज वितरण में डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा कि अनाज बैंक पूरी जिम्मेवारी से अपना काम कर रहा है। बिना किसी सरकारी सहायता के गणमान्य नागरिकों के सहयोग से यह पुनीत कार्य सतत संचालित है। अनाज वितरण के अतिरिक्त अन्य समाजोपयोगी कार्यों और महिला स्वावलंबन के कार्य भी अनाज बैंक द्वारा किये जा रहे हैं। यह ख़ुशी की बात है कि विगत छह वर्षों में अनाज बैंक ने लोगों के मन में ईमानदारी भरी, विश्वास की जगह बनाई है।
इस अवसर पर पौरवी सिंह राणावत ने कहा कि अनाज बैंक का उद्देश्य बहुत ही पावन है और आज जिस उद्देश्य से यह वितरण किया जा रहा है वह और भी भावनात्मक है। अपने परिजनों, विशेष लोगों को याद करने के अवसर पर किसी अन्य रूप में व्यय करने से बेहतर है कि समाज के हाशिये पर रह रहे लोगों की सहायता की जाये। इसके लिए अनाज बैंक से जुड़ा जा सकता है। हम सभी को अपने परिवार में होने वाले ऐसे अवसरों पर सामाजिकता के नाते कुछ सहायतार्थ कार्य करने चाहिए।
इस अवसर पर नियमित किए जाने वाले अनाज वितरण के साथ-साथ सभी लाभार्थी महिलाओं को वस्त्र के रूप में धोती भी उपहारस्वरूप प्रदान की गई। वितरण में सुनीता, रामश्री, वंदना, मीना, गंगावती, प्रेमवती, जगरानी, माया सहित अनेक महिलाएँ उपस्थित रहीं।