उरई | जनपद के युवा साहित्यकार और अध्यापन कार्य से जुड़े डॉ. कुमारेन्द्र सिंह सेंगर का सामाजिक क्षेत्र में भी अनुपम योगदान है. अपनी सामाजिक सक्रियता को बनाये रखते हुए उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर रक्तदान का शतक पूरा किया. उनका कहना था कि रानी झाँसी के बलिदान दिवस पर उनका सौंवी बार रक्तदान करना एक तरह से महापुरुषों का आशीर्वाद है. उल्लेखनीय है कि डॉ. कुमारेन्द्र नियमित रूप से लोगों को जरूरत पड़ने पर और विविध महत्त्वपूर्ण तिथियों पर आयोजित होने वाले रक्तदान शिविरों में भी रक्तदान करते रहते हैं. इस बारे में उन्होंने बताया कि सबसे पहली बार उन्होंने अपनी महाविद्यालयीन शिक्षा के दौरान वर्ष 1991 में रक्तदान किया था. उस समय वे स्नातक की पढ़ाई के लिए ग्वालियर में थे और अपने महाविद्यालय के शिक्षकों द्वारा प्रेरित करने पर तब पहली बार रक्तदान किया था. इस डर से कि इसकी जानकारी होने पर कहीं परिजनों की नाराजगी का शिकार न होना पड़े, पहली बार उन्होंने छद्म नाम से रक्तदान किया था. उन्होंने आगे बताया कि पहली बार रक्तदान करने के बाद उनके भीतर से डर निकल गया था. विज्ञान की पढ़ाई के दौरान रक्तदान के लाभ भी उनको समझ आये. इस कारण वे नियमित रूप से रक्तदान करने लगे.
कुमारेन्द्र का कहना है कि उन्होंने वर्ष में मार्च, जून, सितम्बर और दिसम्बर में स्वयं से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तिथियों पर निश्चित रूप से रक्तदान करना निर्धारित कर रखा है. इस अवधि में कोई जरूरतमंद मिल जाता है तो अपनी निश्चित तिथि के बजाय उसे रक्तदान करना महत्त्वपूर्ण समझते हैं. उनका कहना है कि पचास वर्ष की उम्र होने के बाद और सौ बार रक्तदान करने के बाद उनको आज तक किसी तरह की समस्या नहीं हुई है. इस बारे में वे लगातार अपने चिकित्सक मित्रों से सलाह भी लेते रहते हैं. जब तक उनके डॉक्टर्स मित्रों द्वारा उन्हों हरी झंडी दी जाती रहेगी वे रक्तदान करते रहेंगे.
समाज के लिए सन्देश देने के बारे में उनका कहना था कि रक्तदान से व्यक्ति को किसी भी तरह से नुकसान नहीं है बल्कि समाज में किसी न किसी जरूरतमंद को लाभ ही है. युवाओं को तो कम से कम इस तरफ पूरे जोश से आना चाहिए. आज दुर्घटनाओं, ऑपरेशन, अनेक बीमारियों आदि के चलते अनेक मरीजों को रक्त की आवश्यकता पड़ती है मगर यथोचित रूप से लोगों के सक्रिय न होने के कारण रक्त की कमी बनी ही रहती है. जनपद में और जनपद के बाहर के मित्रों के सहयोग से डॉ. कुमारेन्द्र का प्रयास यही रहता है कि यथासम्भव प्रत्येक जरूरतमंद को रक्त उपलब्ध हो जाये. इसके लिए वे बिना किसी भेदभाव के अनेक ऑनलाइन, ऑफलाइन संस्थाओं से जुड़े हुए हैं, जो रक्तदान सम्बन्धी कार्य में सक्रिय हैं. डॉ. कुमारेन्द्र के सौंवीं बार रक्तदान करने के अवसर पर जिला चिकित्सालय ब्लड बैंक के सुशील द्विवेदी, राकेश, गीता, नितीशा सहित डॉ. ममता स्वर्णकार, सतीश चंचौधिया आदि उपस्थित थे.