कालपी –उरई |
गुरुवार को कैफ़ी आज़मी ऑडिटोरियम, निशातगंज लखनऊ में राजनीति में दिव्यांगों की भागीदारी पर उत्तर भारत क्षेत्रीय परामर्श सभा का आयोजन डिसेबिलिटी राइट्स एडवोकेसी ग्रुप, डिसेबिलिटी लॉ यूनिट द्वारा नेशनल सेण्टर फॉर प्रमोशन ऑफ़ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल नई दिल्ली के सहयोग से किया गया | इसमें बताया गया कि भारत की जनगणना 2011 के अनुसार देश के कुल दिव्यांगों का 15 % से अधिक हिस्सा उतर प्रदेश में निवास करता है | भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आकड़ो के अनुसार केवल उत्तर प्रदेश में 12.28 लाख से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं जो कि भारत के लोकतंत्र में एक अहम् भूमिका रखते है | विकलांग अधिकार अधिनियम 2016 के बावजूद भारत में दिव्यांग आज भी दया के पात्र हैं ; वर्ष 2024-25 अंतरिम बजट के अनुसार दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग को सम्पूर्ण बजट का मात्र 0.02% हिस्सा ही आवंटित किया गया जो कि पिछले वित्तीय वर्ष से भी कम है | आयोजन में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के विकलांग जन आयुक्त अजीत कुमार सिंह उपस्थित हुए और अपने मुख्य वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “यूरोपीय देशों के विपरीत, गणतंत्र बनने के बाद से भारत पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करके चुनावों में समावेशिता स्थापित करने में अग्रणी है। इसलिए हम सभी को समावेशी चुनावों की ताकत का एहसास करने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हम लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी भूमिका निभाएं।” सम्मानित अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की उप निदेशक मोनिका लाल ने इस पहल का स्वागत किया और कहा, “यह एक अनूठा तरीका है जहां आपको दिव्यांगजन, दिव्यांगता पर काम करने वाले संगठन और सरकारी प्रतिनिधित्व भी मिला है। एक तटस्थ और अराजनीतिक घोषणापत्र जारी करना राजनीतिक दलों के लिए भी उतना ही सराहनीय प्रयास है। मैं इस अवसर का उपयोग विकलांग व्यक्तियों के लिए उपलब्ध मतदान अधिकारों और सुविधाओं के बारे में जागरूकता साझा करने के लिए करूंगी।
दिव्यांग लोगों के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए नेशनल सेंटर फ़ौर प्रोमोशन औफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल (एनसीपीईडीपी) के निर्देशक अरमान अली ने व्यापक विकास एजेंडे में दिव्यांग मतदाताओं के मूल्य को पहचानने की तात्कालिकता पर जोर देते हुए कहा “भारत में 10 करोड़ से अधिक दिव्यांगों और भारत के चुनाव आयोग में 1 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाताओं के साथ, दिव्यांगता को हाशिये में नहीं रखा जा सकता है। इसे मुख्यधारा के विकास एजेंडे में एकीकृत किया जाना चाहिए, जिन्हें लागत के बजाय निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए।”
इसी संस्था द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों का चुनावी घोषणा पत्र जारी किया गया है जो दिव्यांग