लखनऊ. बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने जन्मदिन के मौके पर बड़ी घोषणा कर डाली. उन्होंने कहा कि वे लोकसभा चुनाव के लिए किसी पार्टी से गठबंधन नहीं करेंगी लेकिन दलितों और पिछड़ों का हित साधने के लिए चुनाव बाद बनने वाली सरकार में भागीदार बनेंगी. क्या भाजपा नीत गठबंधन सरकार में भी भागीदार होंगी इस बात को पत्रकार वार्ता में स्पष्ट नहीं किया है.
आज सुबह ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक पोर्टल से काफी पर चर्चा में दिए इंटरव्यू में बिना नाम लिए कहा था कि कांग्रेस बसपा से गठबंधन का प्रयास जरुर कर रही है लेकिन मायावती की गारंटी कौन लेगा.आज मायावती ने उनकी शंका चरितार्थ कर दी.प्रेस कांन्फ्रेंस में उन्होंने भाजपा को सत्ता से हटाने का भी दम नहीं भरा अलबत्ता अखिलेश को ले कर कटाक्ष किया कि उनका रंग गिरगिट की तरह बदलता है. अखिलेश ने अपनी पार्टी के लोगों से कहा था कि मायावती बड़ी हैं इसलिए उनके बारे में अनुचित टिप्पणी न की जाए. अखिलेश की इस सौजन्यता से खुश होने की बजाय इसे उन्होंने सपा अध्यक्ष की गिरगिटी प्रवृत्ति का नमूना बता दिया.
मायावती ने कहा कि बसपा गठबंधन में हमेशा घाटे में रही.1993 में उसने सपा से गठबंधन किया तो उसे 67 सीटें ही मिल पायी जबकि सपा को काफी फायदा हुआ. इसी तरह 1996 में कांग्रेस से गठबंधन किया था तब भी वह 67 सीटों से आगे नहीं बढ़ पायी थी. फिर 2002 के विधानसभा चुनाव में बसपा अकेले मैदान में उतरी तो उसकी सीटें 100 हो गयीं.2007 में अकेले लड़ने के फैसले से उसे पूर्ण बहुमत मिला.2019 के लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन भी उसके लिए फायदेमंद नहीं रहा.