उरई। प्राकृतिक आपदा के कहर से लगातार पीड़ित होकर सत्यानाश के कगार पर पहुंच चुके बुंदेलखंड के किसानों के जीवट को सार्थक संबंल प्रदान करने के लिए मोहल्ला राजेंद्र नगर स्थित ग्रामीण जीवन विकास प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के तत्वावधान में प्रभावी पहल की रूपरेखा तैयार की गई है।
संस्थान के प्रबंधक मनोज चैधरी ने बताया कि विदेशी हमलावरों के छक्के छुड़ाने और कितने भी शक्तिशाली बादशाह की अधीनता न स्वीकार करने के लिए मशहूर रहे साहस के धनी वीर बंुदेलाओं को पहली बार इतनी कातर स्थिति में देखा जा रहा है कि वे मुश्किल स्थितियों से लड़ने का साहस दिखाने की बजाय पलायनवादी रुख अपनाते हुए आत्महत्या का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके मनोबल को संभालने के लिए सक्षम लोगों को आगे आना होगा। उनकी संस्था ने उन्नतिशील खेती को बढ़ावा देने का कार्यक्रम तैयार किया है। इसमें मवेशी पालन की कारगर योजना भी शामिल है। संस्था ग्राम पंचायतों स्तर पर लोगों को अन्ना पशु प्रथा बंद करने के लिए आम सभा की बैठक बुलाने हेतु प्रेरित करेगी।
साथ-साथ में संस्था कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम् से बेहतर खेती के लिए किसानों को प्रेरित करेगी। संस्था के कार्यक्रम के तहत प्रथम चरण में बेतवा एवं यमुना नदी की पटटी की 200 से 300 ग्राम पंचायतों को शामिल किया जायेगा। इन ग्राम पंचायतों में 100 से 500 के बीच किसानों के क्लब बनाकर उन्हें उन्नतिशील खेती की जानकारी दी जायेगी। मनोज चैधरी ने बताया कि समाज के प्रबुद्ध वर्ग का सहयोग भी इसमें लिया जायेगा।






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