उरई । कौन कहता है आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता , एक पत्थर तबीयत से उछालो यारो , दुष्यंत कुमार की यह सदाबहार गज़ल ध्यान आती है तो हुकुमरानों से से यह पूछने को मन करता है कि अवैध खनन के मामले में समस्या लाइलाज हो चुकी है या तबीयत से पत्थर उछालने में कोई कसर छोड़ी जा रही है ।
योगी सरकार का ज़ीरो टोलरेंस जुबान पर सबसे ज्यादा चढ़ा तकिया कलाम है सो अवैध खनन रोकने के संकल्प की उनकी चर्चा भी इस संपुट के प्रयोग से अछूती नहीं रहती लेकिन एक सिटिज़न जर्नलिस्ट के हवाले से महेबा ब्लाक में हो रहे मिट्टी के धड़ल्ले से अवैध खनन का नजारा देखने के बाद इस लफ्फाजी की कलई खुल जाती है । वैसे इतनी दूर जाने की जरूरत क्या है जब जिला मुख्यालय के एक दम नजदीक भी शाम ढलते ही यह नजारा आम है । सूबे की सरकार के नुमाइन्दो आप कुछ शर्म तो ओढ़ कर रखो ।






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