गाजियाबाद। गत दिवस उत्तर प्रदेश साहित्य सभा ग़ाज़ियाबाद के तत्वावधान में पटेल नगर स्थित अमित्र थियेटर में एक विचार एवं काव्य गोष्ठी लखनऊ से पधारे उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के मुख्य समन्वयक गिरधर खरे की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पांजलि के पश्चात संस्था के सदस्यों द्वारा कार्यक्रम के अध्यक्ष व सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया ।कवयित्री गार्गी कौशिक द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना के पश्चात साहित्य सभा गाज़ियाबाद की ओर से शॉल व माल्यार्पण करके गिरधर जी को सम्मानित किया गया । महाकवि डॉक्टर कुंवर बेचैन फ़ाउंडेशन की ओर से उनकी सुपुत्री व संस्था की अध्यक्ष वन्दना कुंअर द्वारा भी गिरधर खरे को एक स्मृति चिन्ह व डॉक्टर कुंवर बेचैन जी का महाकाव्य “प्रतीक पांचाली” भेंट किया गया ।
कार्यक्रम में गिरधर खरे ने साहित्य सभा के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से चर्चा की । लगभग 3 घंटे तक चली इस गोष्ठी में कवयित्री डॉ०तूलिका सेठ ने- ‘खुद को मैं आजमाए बैठी हूँ, दिल उसी से लगाए बैठी हूँ’ तथा डॉ०राखी अग्रवाल ने -‘क्या हुआ जो उठके महफ़िल से चले आए थे’ ,श्रीमती गार्गी कौशिक ने-‘ मुकाम अपना बनाना चाहती हूँ, गगन के पार जाना चाहती हूँ’, श्रीमती पूजा श्रीवास्तव ने -‘जीवन का संघर्ष सदा स्वीकारेंगे, ईश्वर अपने साथ नहीं हम हारेंगे’, ,श्रीमती ममता लड़ीवाल ने- ‘मैं मंदिर के द्वार तो पहुंची, पर भीतर न जा पायी’, भूपेंद्र राघव ने- ‘यहां ना कोई ज्ञान बांटने आया हूँ, ना कोई अनुदान बांटने आया हूँ’, वागीश शर्मा ने- ‘आंसुओं से यूँ ही आप जुड़ते रहे, दिल के अरमान झोंकों से उड़ते रहे’ , बी०एल०बत्रा ने-‘आंखों पे तुझको झूंठ का पर्दा कबूल था..’, कुलदीप बरतरिया ने- ‘झूंठ को सच बताना ग़ज़ब करने लगे हो’, राजेश श्रीवास्तव ने- ‘राधा ने बुलाया जो श्याम पास आ गये, अंतिम घड़ी में राधा को वंशी सुना गये’, डी.पी.सिंह ने-‘डीपी लखि परिवेश को गुण- अवगुण मत तोल। मधुमक्खी के डंक में, कब मिठास की घोल’, संगीता वर्मा ने- ‘तोड़ के जब बंधनों को कृष्ण से मिलने चली, कामिनी सी राधिका भी प्रेम रत में यूँ ढली’ दुर्गेश अवस्थी ने- ‘मिलेगा न तुमको कोई भी कहीं पर, कि सारे निशाने लगा दो हमीं पर’, वन्दना कुँअर ने- ‘उठ रहा है धुआँ मकानों से, जैसे उठता है कारखानों से’ जैसी प्रभावशाली रचनाओं के माध्यम से बेहतरीन काव्य पाठ किया। श्रोता के रूप में राकेश सेठ के साथ ही अन्य गणमान्य लौग मौजूद रहे। गिरधर खरे ने अपने अध्यक्षीय भाषण व रचनाओं ‘इन्सानियत के भाव से मिलिए – मिलाइये, मिलिए ग़मों में मिलके ही खुशियाँ मनाइये’ तथा ‘कण्टकों में पथ बनाना सीख लो, कष्ट में भी मुस्कराना सीख लो’ जैसी संदेशात्मक रचनाओं से सभी को आनंदित कर दिया । कार्यक्रम का शानदार सफल संचालन दुर्गेश अवस्थी ने किया । बहुत ही सारगर्भित चर्चा के साथ सम्पन्न हुई सफल काव्य गोष्ठी के लिए साहित्य सभा गाज़ियाबाद की अध्यक्ष वन्दना कुंअर द्वारा संस्था के सभी पदाधिकारियों व सदस्यों को हार्दिक बधाई दी गई। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा गाज़ियाबाद इकाई की प्रधान संयोजिका नंदिनी श्रीवास्तव व प्रतीक माथुर भी अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहे ।
कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रधान / संयोजक सर्वेश अस्थाना ने वीडियो कॉल पर सभी सदस्यों से बात की तथा गोष्ठी के लिए शुभकामनाएँ दीं।
कार्यक्रम के अन्त में तूलिका सेठ द्वारा आगन्तुकों का आभार व्यक्त करते हुए सुन्दर आयोजन स्थल उपलब्ध कराने के लिए बी०एल० बत्रा जी का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।