उरई. प्रदेश के डी जी पी विभाग के अफसरों और कर्मियों को लोगों के साथ सलीके से पेश आने की नसीहत दे रहे हैं लेकिन मगरूर सिपाहीराम को सबसे बड़े साहब बहादुर की हिदायत भी दो कौड़ी की लगती है तभी तो अपने शरीफ चौकी इंचार्ज के रोकते रोकते भी उसने 73 साल के बूढ़े पर लाठियां भांज कर अपनी मर्दानगी को लज्जित करने में संकोच नही किया.
जेल रोड का शफीक नाम का यह सिपाही कोरोना के कारण की गयी देशबन्दी में पुलिस को मार्शल ला का पावर मिल जाने का मुगालता पाल बैठा है. पुराने रजिस्ट्री दफ़्तर के पास रहने वाले 73 वर्षीय धीरज बाबा और उनका परिवार सब्जी व फल की ठिलिया लगा कर गुजारा चले हैं. रविवार की शाम वे अपनी ठिलिया घर के अंदर कर रहे थे तभी गश्त कर रहे शफीक ने देख लिया और पागल हो कर बिना उसकी बुजुर्गियत पर गौर किये लाठियां बरसाना शुरू कर दीं. उनकी पत्नी लीलावती और लडकियां बचाने आईं तो उन पर भी लाठियां भांज डालीं. आज फिर उसने इसी तांडव की पुनरावृत्ति की जब वह चौकी इंचार्ज के साथ मंशापूर्ण मंदिर के सामने से निकल रहा था. बाबा की ठिलिया देखते ही उसका पराक्रम उबाल खाने लगा. चौकी इंचार्ज ने बूढ़े आदमी पर लाठी चलाने से रोका भी पर सिपाही नहीं माना. लीलादेवी और लडकियां आईं तो उन्हें भी फिर मारा.
जनप्रिय पुलिस अधीक्षक डॉ सतीश कुमार से मांग की गयी है कि वे इस मामले को संज्ञान में ले कर आरोपित सिपाही के खिलाफ ऐसा एक्शन ले जिससे उसे बाजिब नसीहत मिल सके.
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