उरई। लाॅक डाउन के कारण बच्चों को फुर्सत हो गयी है। मम्मी डैडी भी घर में ही रहते है जिससे शैतानी भी नहीं हो पाती। ऐसे में तमाम बच्चे है जिन्होंने अपने को पेटिंग, पहेलियां बुझाने, कम्प्यूटर गेम और कविता कहानियंा लिखने आदि शगल में व्यस्त कर लिया है।
एस आर इण्टर काॅलेज की 9 वर्ष की छात्रा ईशिता ने खाली समय का उपयोग गुलदस्ता बनाने में किया है। उसे वेस्ट मेटेरियल से कला कृतियां बनाने का बडा शौक है। कई बार इसके लिए उसकी तारीफ हो चुकी है। आस्था 7 वी में पढती है। उसने एक आकर्षक पेटिंग तैयार की है। मम्मी पापा के तारीफ करने से उसका हौसला बुलन्द हुआ है।
मनोवैज्ञानिक कहते है कि इस तरह के शौक बच्चों में कल्पना शक्ति को बढाते हैं। शिक्षा शास्त्री महेश गुप्ता का कहना है कि मात्र किताबी कीडा बनाना बच्चे के साथ अन्याय है। उसके व्यक्तित्व के विकास को पूरा अवसर देने के लिए उसे सृजनात्मकता की पूरी छूट दी जानी चाहिए। बच्चे के शौक भी उसकी पढाई का विस्तार पटल है।






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