उरई। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी द्वारा तय की जा रही रणनीति का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज आभास करा गये। उन्होंने जहां सपा की बखिया उधेड़ने में कोई कसर नही छोड़ी वहीं बसपा के खिलाफ एक शब्द नही कहा। इसके पहले लखनऊ में मुख्यमंत्री मायावती ने भी कांशीराम की निर्वाण तिथि पर आज आयोजित समारोह में प्रदेश सरकार की आलोचना करने की बजाय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जो तारीफ की वह वैसे भी चर्चा का विषय रही। बसपा की लाइन को मजबूती देने के क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दलित स्मारकों की सपा शासन में हुई तोड़फोड़ का मुददा भी आज की सभा में उठाया। जाहिर है कि दोनों पार्टियां दलितों को सपा कार्यकर्ताओं के व्यवहार के जख्म याद दिलाने के मामले में एक हो गयी हैं तांकि लोक सभा चुनाव की तरह सपा दलितों को फिर अपने पाले में खीचने में कामयाब न हो पाये। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का कोई वजूद नही है इसके बावजूद भाजपा की रवायत में सपा के साथ-साथ कांग्रेस पर भी निर्मम हमले करना शामिल रहता था। पर शायद अब उसका नजरिया बदला है। उसे लगता है कि कांग्रेस का नाम लेते रहने से प्रदेश में उसका भाव बढ़ जाता है जबकि वह एक मरी हुई पार्टी में तब्दील हो चुकी है। इसलिए योगी आदित्यनाथ ने आज की सभा में कांग्रेस का नाम तक नही लिया और संभवतः आगे की अन्य सभाओं में भी कांग्रेस को चर्चा से बाहर करने के इसी पैटर्न पर भाजपा नेतृत्व काम करता रहेगा।







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